गुरुवार, 24 जनवरी 2008

इक्षाएं

इक्षाएं हैं
कि बार बार निकल पड़ना चाहती हैं

भावनाएं हैं
कि बार बार फुट पड़ना चाहती हैं

दिल है
कि दर्द को महसूस करना चाहता है

दिमाग है
कि सत्य को खोज लेना चाहता है

पर

परिस्थितियां हैं
कि दिमाग को कुंद किये देती है

व्यावहारिकता है
कि दिल को स्पन्दन्हीन किये देता है

बेबसी है
कि भावनाओं को नीलम किये देती है

और बचती हैं
इक्षाएं सिर्फ इक्षाएं
बेबस निरीह भोली भली इक्षाएं.........

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